बाबा के दरबार में आरती

प्रतिदिन आरती सुबह और शाम के समय होती है...शाम के समय विशाल आरती - 7 : 00 बजे के बाद होती है |


प्रार्थना

पितु मातु सहायक स्वामी -सखा, तुमही एक नाथ हमारे हो |

जिनके कछु और आधार नही ,तिनके तुमही रखवारे हो ||1|| पितु मातु.......

सब भांति सदा सुखदायक हो, दुःख दुर्गुण नाशन हारे हो ||2||पितु मातु.......

प्रतिपाल करो सगरे जगको , अतिशय करुणा उर धारे हो ||3||पितु मातु.......

भुलि हैं हमहीं तुमको तुम तो ,हमरी सुधि नाहिं बिसारे हो ||4||पितु मातु.......

उपकारन को कछु अंत नही , छिनही छिन जो विस्तारे हो ||5||पितु मातु.......

महाराज महा महिमा तुम्हरी , समुझे विरले बुधिवारे हो ||6||पितु मातु.......

शुभ शांति निकेतक प्रेमनिधे , मनमंदिरके उजियारे हो ||7 ||पितु मातु.......

इस जीवनके तुम जीवन हो , तुम प्राण से भी मुझे प्यारे हो ||8|| पितु मातु.......

तुमसो प्रभुपाॅय कमाल हरी , केहिके अब और सहारे हो ||9 ||पितु मातु.......


स्तुति
कमला गुन जो गहहिं मन , परिहरि वारि विकार ।
तिनकी सब बाधा कटैं , मनोरथ होई सकार ।।
जय कमाल ब्रहम कृपालु , मेरी अरज सुन लीजिए ।
मैं शरण तिहारी गिरा पड़ा हूँ , नाथ दर्शन दीजिए ।।
मैं करूँ विनती आप से , प्रभु तुम दया मुझ पर करो ।
चरणों का ले लिया आसरा , प्रभु वेगि से मेरा दुख हरो ।।
सिर पर जटा कर में सोटा , गले बीच रूद्राक्ष माल हैं ।
जो करें दर्शन प्रेम से , सब कटत तन के जाल हैं
तुम सब तरह समर्थ हो , भक्तों के पूरण काम हो ।
भूतों से तारन हार हो , प्रभु सकल सुख के धाम हो ।।
मैं हूँ आज्ञानी बालक , मेरी बुद्धि को निर्मल करो ।
अज्ञानता का अंधेरा है उर में , प्रभु ज्ञान का दीपक धरो ।।
सब मनोरथ पूर्ण करते, जो कोई सेवा करे।
शाल जनेऊ घृत मेवा,भेंट ले आगे धरे।।
करना खता सब माफ मेरी , जो चूक हरदम साथ है ।
मेरी कामना पूरण करो , अब लाज तुम्हारे हाथ है ।।
दरबार में आया तेरी , ब्रहम देव मैं हाजिर खड़ा ।
इन्साफ मेरा अब करों , चरणों में आकर मैं हूँ पड़ा ।।
अर्जी मैं तुमको दे चुका , अब गौर मुझपर कीजिए ।
तत्काल इस पर हुक्म कर दो , फैसला कर दीजिए ।।
मैं सन्त सेवक आपका, मुझको नहीं बिसराइए।
जय जय करूँ मैं आपकी, नैया को पार लगाइए ।।
मैं सुयश सुनकर दूर से, आया तुम्हारे पास हूँ।
हवन कराया आपका, औ मैं अज्ञानी दास हूँ ।।
स्त्री पुरूष सब दूर से आके, चरणों की आस लगाये हैं।
अब नाथ आकर दर्श दो, आँखों के अश्रु सुखाये हैं ।।
प्रभु कमाल की यह स्तुति, जो नेम से गाया करे।
सब सिद्ध कारज होय उसकी, रोग सब हरे ।।
दोहा
कमला स्तुति जो पढ़े, प्रेम सहित मन लाय।
उसकी निर्मल बुद्धि हो, होय कमाल जी सहाय ।।

प्रार्थना

पितु मातु सहायक स्वामी -सखा, तुमही एक नाथ हमारे हो |

जिनके कछु और आधार नही ,तिनके तुमही रखवारे हो ||1|| पितु मातु.......

सब भांति सदा सुखदायक हो, दुःख दुर्गुण नाशन हारे हो ||2||पितु मातु.......

प्रतिपाल करो सगरे जगको , अतिशय करुणा उर धारे हो ||3||पितु मातु.......

भुलि हैं हमहीं तुमको तुम तो ,हमरी सुधि नाहिं बिसारे हो ||4||पितु मातु.......

उपकारन को कछु अंत नही , छिनही छिन जो विस्तारे हो ||5||पितु मातु.......

महाराज महा महिमा तुम्हरी , समुझे विरले बुधिवारे हो ||6||पितु मातु.......

शुभ शांति निकेतक प्रेमनिधे , मनमंदिरके उजियारे हो ||7 ||पितु मातु.......

इस जीवनके तुम जीवन हो , तुम प्राण से भी मुझे प्यारे हो ||8|| पितु मातु.......

तुमसो प्रभुपाॅय कमाल हरी , केहिके अब और सहारे हो ||9 ||पितु मातु.......